पहाड़ों में लगातार जंगलों के अनियंत्रित दोहन को देखते हुए पहाड़ों में चौड़ी पत्ती के पौधों का पौधारोपण कार्य प्रारंभ किया है जिसमें जंगलों में बांज , बुरांश,रीठा आंवला, पुतली, पांगर,खरसू, उतीश, रयाज,अयार, देवदार,क्वैराल,आदि पौधों का पौधारोपण कार्य किया जाता है जो भी पौधारोपण किया जाता है वो संरक्षित स्थानों पर किया गया है और पौधों की पूर्ण देखरेख की जाती है
पहाड़ों में जल संकट को देखते हुए वर्षा के जल को संरक्षित करने के लिए पहाड़ों में चाल खाल खंतियां पोखर तैयार करने का कार्य किया गया है जिससे नदी नौले धारों को पुनर्जीवित किया जाता है चाल खाल खंतियां पोखर जिनकी धारण क्षमता 2000 लीटर से 100000 लीटर तक होती है